आज फिर मौसम ने करवट ली याद तुम मुझे आने लगे
बीते लम्हे भूले हुए आज फिर सताने लगे
अभी कल ही की बात है साथ थे हम
वरना अरसा एक बीत गया ज़िक्र भी हुआ नहीं
लगता है मौसम ही यादों के गम बरसाने लगे
आज फिर मौसम ने करवट ली याद तुम मुझे आने लगे
तम्मन्ना थी तुम्हे सुनने की रात दिन
और तुम्हारे साथ की जिंदगी भर
अब तो वो आवाज़ भी कुछ धुंधली सी है
जिंदगी भी अब साथ छोड़ जाने को है
कोशिश की बहुत कि याद अब तुम ना आओ
कुछ कमी सी लगती है हवाओं में आजकल
सासें अब चलती है रुक रुक के
एहसास होता है की खोया भी मैंने है तुम्हे
नहीं तो वक्त बहुत था किस्मत को आज़माने में
आज फिर मौसम ने करवट ली याद तुम मुझे आने लगे
1 comment:
वाह वाह वाह, बहुत अच्छे!
Post a Comment