Thursday, July 14, 2011

यादें





आज फिर मौसम ने करवट ली याद तुम मुझे आने लगे

बीते लम्हे भूले हुए आज फिर सताने लगे

अभी कल ही की बात है साथ थे हम

वरना अरसा एक बीत गया ज़िक्र भी हुआ नहीं

लगता है मौसम ही यादों के गम बरसाने लगे

आज फिर मौसम ने करवट ली याद तुम मुझे आने लगे


तम्मन्ना थी तुम्हे सुनने की रात दिन

और तुम्हारे साथ की जिंदगी भर

अब तो वो आवाज़ भी कुछ धुंधली सी है

जिंदगी भी अब साथ छोड़ जाने को है

 

कोशिश की बहुत कि याद अब तुम ना आओ

कुछ कमी सी लगती है हवाओं में आजकल

सासें अब चलती है रुक रुक के

एहसास होता है की खोया भी मैंने है तुम्हे

नहीं तो वक्त बहुत था किस्मत को आज़माने में

आज फिर मौसम ने करवट ली याद तुम मुझे आने लगे

 

1 comment:

Jitendra said...

वाह वाह वाह, बहुत अच्छे!